Raksha Bandhan 2022: अगस्त का महीना आ चुका है और इस महीने में अगर किसी पर्व और त्योहार की बात होती है तो वो है raksha Bandhan kab hai 2022?, रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है? रक्षा बंधन का इतिहास क्या है? आखिर कब से इस पर्व को हम मानते है? Raksha Bandhan date 2022, rakhi bandhne ka shubh muhurat 2022 इत्यादि.
राखी का त्योहार हर वर्ष पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 में दो दिन यानी 11 और 12 अगस्त को रक्षा बंधन मनाया जाएगा। इसके पीछे कई सारे कथाएं और पौराणिक कहानियाँ है तो आइए आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे की कैसे हुई थी रक्षाबंधन की शुरुआत। सबसे पहले किसने किसको बांधा था रक्षा का धागा।
Raksha Bandhan kab hai 2022 (date) Aur Shubh Muhurat (रक्षा बंधन कब है, शुभ मुहूर्त)
राखी का त्योहार भाई बहन के बीच का प्यार का प्रतीक है। यह त्योहार हर वर्ष श्रावण (अगस्त) महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष 2022 में 11 और 12 अगस्त दोनों ही दिन पूर्णिमा है और इसी वजह से आप चाहे तो दोनो दिन राखी बांध सकते हैं। रक्षाबंधन के दिन वैसे तो सिर्फ राखी बांधी जाती है और बदले में भाई अपनी बहन के रक्षा के लिए वचन देता है। लेकिन सिर्फ राखी बांधने का पर्व नही है यह बल्कि, यह पर्व बहन भाई की भावनाओं का भी पर्व है।
लोग इसे सिर्फ भाई-बहन से जोड़कर ही देखते है। लेकिन, पौराणिक कथाओं के अनुसार इसकी शुरुआत एक पति और पत्नी के द्वारा की गई थी। हा, यह जानकर आपको थोड़ी हैरानी होगी लेकिन यह सच है। तो आइए अब जानते हैं की आखिर यह पर्व भाई बहन के प्रेम का प्रतीक कैसे बन गया और इसकी शुरुआत हुई कैसे।
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है (Raksha Bandhan 2022 History)
अब आपको पता चल गया है की raksha bandhan kab hai date 2022 in India. इससे आगे बढ़ते हैं। इस पवित्र बंधन राखी के बंधन को लेकर कई कथाएं हैं जो पुराणों में बताई है तो आइए जानते है।
भविष्य पुराण में रक्षाबंधन की कथा
रक्षा बंधन को लेकर एक कथा भविष्य पुराण में बताई गई है और वो काफी रोचक है। हुआ यूं था की सतयुग में एक वृत्रासुर नाम का राक्षस था। वृत्रासुर की नजर देव लोक यानी की स्वर्ग पर था। और भोले नाथ से वरदान भी प्राप्त था की उसे कोई अस्त्र शस्त्र नही मार सकता और इसलिए स्वर्ग के राजा इंद्र उससे बार बार पराजित हो जाते थे। और एक दिन उस राक्षस ने देवताओं के साथ युद्ध करके स्वर्ग पर जीत हासिल कर ली। पर यह शुभ बात नही थी और इसीलिए महर्षि दधीचि ने अपने शरीर को त्याग दिया ताकि देवताओं की जीत हो सके। फिर उनकी हड्डियों से अस्त्र और शस्त्र बनाए गए। उसी हड्डी से इंद्र का अस्त्र वज्र भी बनाया गया था।
देवराज इंद्र और वृत्रासुर का युद्ध
ऐसा माना जाता है की जब देवराज इंद्र वृत्रासुर के साथ युद्ध लड़ने जा रहे थे उससे पहले वह अपने गुरु बृहस्पति के पास गए। और उन्होंने अपने गुरु बृहस्पति से कहा कि वह वृत्रासुर से अंतिम बार युद्ध लड़ने जा रहे है। और इस युद्ध में या तो वह जीत हासिल करेंगे या पराजित होकर लेट लौटेंगे। इन बातों को सुनकर देवराज इंद्र की पत्नी चिंता में पड़ गई और तभी उन्होंने अपनी साधना और मंत्रों के प्रयोग से एक विशेष रक्षासूत्र को तैयार किया और उसको अपने पति देवराज इंद्र की कलाई पर बांध दिया।
पूर्णिमा तिथि के दिन बांधा रक्षासूत्र
इंद्राणी शची ने अपने पति देवराज इंद्र की कलाई पर जिस दिन रक्षासूत्र बांधा था उस दिन पूर्णिमा का दिन था। और ऐसा बताया जाता है की उसके बाद से जब इंद्र युद्ध के लिए गए तो उनका सहास और बल अविश्वसनीय था। देवराज ने अपनी ताकत और पराक्रम से वृत्रासुर को मार गिराया। इस कहानी से ये साफ होता है कि अपने पति की रक्षा के लिए पत्नी भी अपने पति की कलाई पर रक्षासूत्र बांध सकती हैं।

श्रीकृष्ण ने दिया था द्रौपदी को रक्षा का वरदान
महाभारत में द्रौपदी और श्री कृष्ण की दोस्ती की बाते तो हम सभी जानते है। और इस बात से जग जाहिर है की उन्होंने दोस्ती निभाई भी थी। साथ ही एक इसे लेकर कथा भी मिलती है की जब एक बार भगवान कृष्ण शिशुपाल का वध करने का सोचा और उस वक्त चक्र चलाया तो उनकी एक अंगुली कट गई और उससे खून गिरने लगा। और तभी भगवान कृष्ण के खून के बहाव को रोकने के लिए द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दिया था।
तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया था की जब भी वह किसी दुविधा या परेशानी में होंगी तो आवश्य उनकी मदद करेंगे और हमेशा साथ होंगे। और यह वचन उन्होंने तब पूरा किया जब द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था और सभी जने सिर्फ देख रहे थे। ऐसी ही कई कहानियां है जो रक्षा बंधन को लेकर प्रचलित हैं।
अंतिम कुछ शब्द:
दोस्तो, इसमें तो कोई दोराय नहीं है की राखी का त्योहार लोगो के दिलो में और घरों में खुशी का माहौल लाता है लेकिन, इसके साथ साथ और कुछ आता है तो वो है भाई बहन के रिश्ते में वो मिठास जिसकी वजह से हर भाई एक बहन और हर बहन एक भाई भगवान से जरूर मांगती है।
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