महाशिवरात्रि (2022) जाने इसकी मंत्र, कथा, डेट | Mahashivratri

महाशिवरात्रि 2022 तारीख, सामग्री, कथा, मंत्र, वैज्ञानिक महत्व ( Date, katha, mantra, scientific importance)

 

इस आर्टिकल में मैं आपको महाशिवरात्रि कब है?, इसकी तारीख, विधि, कथा, मंत्र और वैज्ञानिक महत्व (महाशिवरात्रि (2022) जाने इसकी मंत्र, कथा, डेट)  के बारे में बताने वाली हूं। महाशिवरात्रि पर्व हर सुहागन के लिए एक शुभ दिन होता है। हर सुहागन इस दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार करती है। हालांकि, महाशिवरात्रि पर्व अविवाहित स्त्री, पुरुष भी रखते है। लेकिन, विवाहित स्त्री अपने पति की लंबी आयु के लिए करती है। और अविवाहित शिव जी जैसे पति पाने के लिए। वैसे तो शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि मनाने के अपनी एक अलग वजह है पर वैज्ञानिक भी इस पर्व को बहुत महत्व देते है और इसके बारे में उन्होंने भी कहा है।

 

कई लोग कन्फ्यूज हो जाते है की Mahashivratri और शिवरात्रि अलग है या एक है। ध्यान दीजिएगा मैं महाशिवरात्रि की बात कर रही हूं, शिवरात्रि की नही। इन दोनो में अंतर है। मैं अंत में इसे भी बताऊंगी। बने रहिए अंत तक और पूरा आर्टिकल जरूर पढ़े। इसके फायदे आपके जीवन में अच्छे चेंज लाएंगे।

 

महाशिवरात्रि कब है 2022 में ? (Mahashivratri kab hai 2022 me)

Mahashivratri 2022 में 1 मार्च दिन मंगलवार को है। यह हिंदी महीने के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आता है। जो इस साल एक मार्च को है।

 

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर क्या है?

शिवरात्रि हर महीने आता है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। लेकिन, महाशिवरात्रि साल में सिर्फ एक बार ही आता है और वो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर। अगर आप शिवरात्रि करना चाहते है तो हर महीने कर सकते है। लेकिन, महाशिवरात्रि करके फल प्राप्ति की इच्छा रखते है तो एक मार्च 2022 को जरूर वर्त रखे।

 

महाशिवरात्रि की कथा | Mahashivratri katha

सभी को ऐसा लगता है की महाशिवरात्रि पर्व इसीलिए मनाया जाता हैं क्योंकि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का शुभ विवाह हुआ था। लेकिन, कुछ विद्वान का कहना है की महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने “कालघुट” नाम का विष पिया था जो सागर के मंथन के वक्त निकला था।

शिव पुराण के कोटिरुद्र संहिता के अनुसार पौराणिक समय में एक भील(जंगल में रहने वाला) रहा करता था। वो एक शिकारी था। इसका परिवार बड़ा था और ये बहुत क्रूर था। हर दिन जंगल में एक नए जानवर का शिकार करता था और अपने परिवार का पालन करता था। एक दिन उसके माता पिता और पत्नी भूख से तड़प रहे थे। उनके पता पिता ने उसे खाना लाने को कहा। बहुत आग्रह करने पर वो जंगल की तरफ अपने तीर कमान लेकर पहुंच गया। उस दिन उसे एक भी जानवर, कोई हिरण नही दिखे। पूरा दिन बस इसी में बीत गया की शायद कोई जानवर दिख जाए और वो अपने परिवार के लिए ले जा सके।

संजोग से उस दिन महाशिवरात्रि का दिन था। कोई जानवर न मिलने पर वो निराश हो गया। पर वो बिना कुछ लिए जाना नही चाहता था। जब जाने का ख्याल आया तो उसे लगता की उसके माता पिता, बच्चे, पत्नी सब क्या खाएंगे। सब भूख से तड़प रहे होंगे। उसने तय कर लिया की अब वो कुछ लेकर ही जाएगा। और इसलिए वो कुछ दूर चल कर एक तालाब के पास जा कर पेड़ पर बैठ गया। ताकि जब कोई हिरण पानी पीने आए तो वो उसका शिकार कर सके और उसको अपने परिवार के लिए ले जा सके।

जब रात का एक प्रहर बीता तो एक हिरण पानी पीने आई। वो भील उसे देखकर बहुत खुश हुआ और अपना बाण तानने लगा। बाण तानते वक्त उसके पास एक कलश था जो हाथ लगकर उससे पानी गिरने लगा और कुछ बेल पत्र, उस भील को ये पता नहीं चला। उस पेड़ के नीचे भगवान शिव की शिवलिंग रखी हुई थी। और जल उसी पर गिर रहा था। इस तरह एक प्रहर की पूजा हो गई। लेकिन, इस आवाज से हिरण डर गई और उसने देखा कि पेड़ पर कोई शिकारी है। उसने उस शिकारी से पूछा की तुम मेरा शिकार क्यों करना चाहते हो। तो उस भील ने कहा कि तुम्हारा शिकार करके मैं अपने माता पिता का पेट भरूंगा।

हिरण मान जाती है, पर वो शिकारी से कहती है की अगर मेरा शरीर किसी के काम आए तो इससे भले का काम क्या हो सकता है। पर मेरे बच्चे है जो मेरी आस देख रहे है। मैं अपनी बहन और गुरु को बता कर आती हूं फिर तुम मेरा शिकार करना। वो भील बोला की मैं कैसे यकीन करू। हिरण भगवान शिव की सपथ लेते हुए कहा अगर मैं नही आई तो मैं विलुप्त हो जाऊ। भील ने उसे जाने दिया।

थोड़ी देर बाद उस हिरण की बहन आती है। भील उसे देख कर तृप्त हो जाता है और उसका शिकार करने ही वाला होता है की फिर उसके हाथ से लग कर कलश से जल और कुछ बेल पत्र शिवलिंग पर गिर जाते है। जिससे दूसरी प्रहर की पूजा भी समाप्त हो जाति । ये हिरण भी एक शपथ लेकर चली जाती है। तीसरी और चौथी बार भी दूसरी हिरण आते है और ऐसे ही भगवान शिव पर जल और बेल पत्र चढ़ते जाते है। जिससे चारो प्रहर की पूजा पूरी हो जाती है। अब उस भील के सारे पाप धुल जाते है।

हिरण सोचने लगते है क्योंकि सबने कोई न कोई शपथ लिया था इसीलिए चारो जाते है। जानवरो की ईमानदारी देख भील का दिल पिघल जाता है और उसे ज्ञान प्राप्त हो जाता है। इसलिए वो किसी को नही मरता और सबको जाने देता है। ये देख भगवान शिव अपने प्रचंड रूप में उसे भेट देते है। और भील को आगे बढ़ने और तरक्की करने के लिए आशीर्वाद देते है। उसका नाम वह “गुह” देते है। यह वही है जिनसे भगवान राम मदद लेते है। तो ये थी महाशिवरात्रि की कथा।

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महाशिवरात्रि पर्व के मंत्र

महाशिवरात्रि मंत्र से मिलेगा दुगुना लाभ

महाशिवरात्रि का पर्व हो या कोई दूसरी पूजा मंत्र के बिना कोई भी पूजा संपन्न नही हो सकती। मंत्रों का अपना एक अलग पहचान है। विद्वानों की माने तो मंत्र का जाप करने से दुगुना लाभ मिलता है।

 

शिवजी का अभिषेक करते हुए मंत्र

शिवजी की आराधना करते समय ध्यान रखना है की मंत्र का उच्चारण बिल्कुल सही हो। इस वक्त शिवजी का षडाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय का जाप करे।

 

शिव गायंत्री मंत्र

“ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।”

शिव गयंत्री मंत्र करने से लोगो का कल्याण होता है। इस मंत्र को हर सोमवार वर्त करने वाले लोग भी कर सकते है। इससे रोगों से मुक्ति मिलती है और मन को शांति मिलती है, साथ ही साथ पाप से भी मुक्ति मिलती है।

 

महामृत्युंजय गायत्री मंत्र (महाशिवरात्रि (2022) जाने इसकी मंत्र, कथा, डेट ऊपर में )

“ओम हौं जूं स: ओम भूर्भुव: स्व: ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवद्र्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ओम स्व: भुव: ओम स: जूं हौं ओम॥”

हालांकि, इस मंत्र की काफी मान्यता है। पर एक बार का खास ख्याल रखना चाहिए की मंत्र का जाप करते वक्त उच्चारण बिल्कुल सही होना चाहिए। धूप और घी के दिए जलते रहने चाहिए। और रुद्राक्ष की माला के साथ जाप करे। जिससे अधिक लाभ मिलता है।

 

महाशिवरात्रि की सामग्री

सामग्री के तौर पर दूध, दही, शहद, देसी घी, गंगाजल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, फूल, माला, धतूरा और बेलपत्र, प्रसाद, रोड़ी, अक्षत जरूर रख ले।

 

महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व

“शिव की महान रात्रि” महाशिवरात्रि का महत्व सिर्फ हमारे पूर्वज नही बल्कि वैज्ञानिक भी दे चुके है। जैसा की हम जानते है भोलेनाथ दुष्टों का संघार करते है, असत्य पर सत्य की जीत होती है। वैज्ञानिक दृष्टि कोण से देखा जाए तो, इस रात को ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध ऐसे अवस्थित होती है की इंसानों की भीतरी ऊर्जा ऊपर की ओर जाती है। इस दिन प्रकृति इंसान को अपने लक्ष्य और आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करता है। इस दिन जो पूजा करता है उसे सीधे हो कर पूजा करना होता है। जिससे रीड की हड्डी पहले से बेहतर होती है और इंसान एक अलग पॉवर महसूस करता है। इसलिए वैज्ञानिक भी महाशिवरात्रि को अच्छा मानते है। और इसका समर्थन करते है।

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अंतिम कुछ बाते

दोस्तो, आपको आज का आर्टिकल महाशिवरात्रि (2022) जाने इसकी मंत्र, कथा, डेट | (Mahashivratri ) कैसा लगा। आपने कुछ नया सीखा या जाना तो कमेंट करके जरूर बताएं और अपने दोस्तो में शेयर करे।

 

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