औरंगज़ेब जीवन परिचय इतिहास | Aurangzeb Biography History in Hindi 

औरंगजेब जीवन परिचय व इतिहास (जन्म तारीख, जन्म स्थान, पिता का नाम, माता का नाम, बच्चे, पत्नी, शासन, युद्ध, मुगल बादशाह, विवाद, किसने मारा था, ) (Aurangzeb History Jeevan Parichay in hindi date of birth, birth place, father, mother, children, fight, mughal king, empire, controversy) 

(Aurangzeb Biography History in Hindi) औरंगज़ेब का जीवन परिचय इतिहास बहुत लंबा और क्रूरता से भरा हुआ है। औरंगज़ेब का पूरा नाम अब्दुल मुज्जफर मुहीउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब आलमगीर था। यह मुगल सम्राट का छठा मुगल वंश और पांचवे मुगल सम्राट का शाहजहां का तीसरा बेटा था। इसकी माता का नाम मुमताज महल था। इसका जन्म 3 नवंबर, सन् 1618 को धोद, मालवा, भारत में हुआ था।

Aurangzeb Biography History in Hindi
Aurangzeb History in Hindi

इसने अपनी क्रूरता से बहुत ऊंचाइयों तक पहुंचा था। इसने अपने आप को आलमगीर नाम भी दिया था जिसका मतलब होता है दुनिया को जीतने वाला। इतिहास के पन्नो में अगर एक क्रूर बादशाह का नाम आएगा तो उनमें से एक मुगल सम्राट औरंगजेब का भी आएगा।

औरंगज़ेब मुगल साम्राज्य का छठा शासक होने के साथ साथ अंतिम शासक भी था क्योंकि उस वक्त राजा छत्रसाल ने इसे युद्ध में हरा कर अपने भारत को मुगलों से बरी कर लिया था। इसके बाद इसके बेटे को राज गद्दी नही मिली। इसने कुल 49 सालो तक भारत की मातृभूमि पर शासन किया था। यह एक रूढ़िवादी धार्मिक सुन्नी मुस्लिम शासक था।

इसी ने फतवा-ए-आलमगिरी को संकलित किया और पूरे भारत देश में शरिया कानून और इस्लामी अर्थशास्त्र की स्थापना की थी। औरंगज़ेब एक मात्र ऐसा मुगल बादशाह था जिसने लगभग आधी सदी तक शासक किया था। मुगल बादशाह अकबर के बाद यही था जिसने एक सारी ऊंचाइयों को छुआ था। औरंगजेब का शासन काल 1658 से 1707 तक रहा और फिर 3 मार्च, 1707 को भिंगर, अहमदनगर, भारत में उसकी मृत्यु हो गई।

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औरंगज़ेब जीवन परिचय इतिहास | Aurangzeb Biography History in Hindi

Aurangzeb Real Photo
Aurangzeb Biography History in Hindi
  • पूरा नाम – अब्दुल मुज्जफर मुहीउद्दीन मोह्हमद औरंगजेब आलमगीर
  • जन्म – 14 अक्टूबर 1618
  • जन्म स्थान – दाहोद , गुजरात
  • पिता का नाम – शाहजहाँ
  • माता का नाम – मुमताज महल
  • पत्नी – औरंगाबादी महल, झैनाबादी महल, बेगम नबाव बाई व उदैपुरी महल
  • बेटे – बहादुर शाह, आज़म शाह, मोह्हमद काम बख्श , मोह्हमद सुल्तान, सुल्तान मोह्हमद अकबर
  • बेटी – चार बेटी
  • मृत्यु (Death) – मार्च, 1707 ईसवी

औरंगजेब का शुरूआती जीवन –

औरंगजेब एक मुगल बादशाह था, और मुगल साम्राज्य की स्थापना बाबर ने किया था। बाबर उबगानिस्तान का शासक था, ऐसा कहा जाता है की जब वहां अकाल पड़ा तब बाबर ने भारत की ओर प्रस्थान किया और यहां आकर बस गया। यही से शुरुआत हुई मुगलों का शासन।

औरंगज़ेब का जन्म 14 अक्टूबर 1618 में हुआ था। जब इसका जन्म हुआ तो उस वक्त इसके पिता शाहजहां गुजरात के गवर्नर थे। आलमगीर औरंगज़ेब जब सिर्फ 9 साल का था तब उसके दादा जहांगीर ने उसे लाहौर में बंधक बना लिया था। इसकी वजह यह थी की शाहजहां ने एक युद्ध में हार गए थे।

इसके दो साल बाद ही सन् 1628 में शाहजहां को आगरा का राजा घोषित किया गया। और उस वक्त औरंगजेब व उनके बड़े भाई दारा शिकोह दुबारा से अपने पिता और माता के साथ रहने लगे थे। बात सन् 1633 की है जब एक बार जंगली हाथियों ने वहां की जनता पर हमला कर दिया था। सभी भागने लगे थे तब औरंगज़ेब ने बड़ी बुद्धिमता और बहादुरी से उससे लड़ते हुए एक कोठरी में बंद कर दिया और इसे जीत गया। यह देख कर इसके पिता इसे बहादुर की उपाधि दे दी।

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पारिवारिक विवाद –

Aurangzeb Biography History in Hindi
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औरंगज़ेब बहादुर और साथ ही शरीर भी था। अपने पिता के चहीते बनते इसे देर नही लगी और सिर्फ 18 साल में 1636 में उसे दक्कन का सूबेदार बना दिया गया। सन् 1637 में इसने सफविद की राजकुमारी दिलरास बानू बेगम से निकाह कर लिया और इसे अपनी पहली पत्नी बनाया।

सन् 1644 में अचानक से उसकी बहन की मृत्यु हो गई लेकिन इतनी बड़ी बात होने के बावजूद वो घर आगरा नही गया और इस बात से इसके पिता शाहजहां को बहुत बुरा लगा। इसका परिणाम यह हुआ कि शाहजहां ने औरंगज़ेब को तुरंत ही दक्कन के सूबेदार के पद से हटा दिया गया। और साथ ही सारे अधिकार भी छीन लिए गए।

बात सिर्फ अधिकार छीनने की नही बल्कि दरबार में भी आने की मनाही हो गई। लेकिन, यह गुस्सा जल्द ही शांत हो गया और उसे सन् 1645 में गुजरात का सूबेदार बनाया गया। इसे मुगल साम्राज्य का सबसे अमीर प्रान्त माना जाता है। यहां का काम देखते हुए उसे अफगानिस्तान का गवर्नर बना दिया गया।

सन् 1653 में औरंगज़ेब  को फिर एक बार दक्कन का सूबेदार बनाया गाय, और वहां इसने अपने पिता द्वारा बनाई गई नियम को लागू किया। इस वक्त शाहजहां अपने बड़े बेटे दारा शुकोह को बहुत मानते थे और वो मुख्य सलाहकार भी थे। दोनो भाइयों के बीच आए दिन अनबन होती रहती थी क्योंकि दोनो का नेचर बिलकुल अलग था।

सन् 1657 में शाहजहां की तबियत बिगड़ने लगी, जिसकी वजह से तीनों भाइयों में सत्ता और पावर को लेकर एक जंग सी छिड़ गई। लेकिन, औरंगज़ेब बलवान था और उसने अपने पिता को ही बंदी बना लिया और साथ ही अपने सभी भाइयों को मरवा दिया। औरंगज़ेब ने अपने पिता को भी मारने की पूरी कोशिश की थी पर ऐसा ही नही पाया। इसकी प्रजा इससे बेहद नफरत करती थी।

औरंगजेब का शासन –

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हीराबाई जिसके प्यार में पागल था औरंगज़ेब

औरंगज़ेब की क्रूरता तो जग जाहिर थी ही और साथ ही वो सभी को मुस्लिम बनाना चाहता था। पूरे भारत में एक इस्लामिक देश बनाने की कई कोशिशें की थी उसने। उस समय के हिंदुओं पर कितने जुल्म और सितम किए जिसकी कोई गिनती नहीं है। हिंदुओ को अपना त्योहार भी मनाने की स्वतंत्रता नही थी।

कश्मीर के लोगो पर भी मुस्लिम धर्म को अपनाने के लिए जोर डालता था। उस समय सिख गुरु तेगबहादुर जी ने उन सभी कश्मीरी लोगो के साथ खड़े हुए और उनकी हिम्मत बने थे। लेकिन, इसका परिणाम बहुत दुखद था क्यूंकि औरंगज़ेब ने उन्हे फांसी दे दी। औरंजेब ने हिंदुओ पर जुल्म करने के लिए कई हिंदू मंदिर को तुड़वा कर उसपर मस्जिद बना डाला। उन्ही में से एक मंदिर था काशी विश्वनाथ मंदिर जो आज ज्ञानवापी मस्जिद है और जिसपर इतना विवाद खड़ा है।

औरंगज़ेब इतना ज्यादा क्रूर था की उसने सती प्रथा को भी दुबारा से शुरू किया, उसी ने मांस मंदिरा का सेवन करना शुरू किया था, साथ ही शराब, वेश्यावृत्ति जैसे अनगिनत तुच्छ काम किए थे। अगर कोई हिंदू इस्लाम धर्म को ना माने तो उसके पति को मरवा कर उसकी पत्नी के साथ किसी मुस्लिम का जबरन निकाह और बच्चे करवाता था ताकि बच्चे बड़े होकर हिंदू नही मुस्लिम धर्म को माने।

औरंगज़ेब का अत्याचार थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। तब सन् 1660 में इसका विरोध मराठा साम्राज्य ने किया, फिर 1669 में जाट ने, 1672 में सतनामी, 1675 में सिख व 1679 ने राजपूत ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई। उस समय राजा छत्रसाल और वीर शिवाजी का नाम भी बहुत आता है। यहां तक की वीर शिवाजी से तो औरंगज़ेब कभी लड़ता ही नही था।

उनकी कीर्ति और युद्ध कौशल में इतना बल था की औरंगजेब ने कभी सोचा भी नही। लेकिन, राजा छत्रसाल को बचपन एस ही मारने का पूरी कोशिश किया था जो ऐसा नहीं हो पाया और अंत में उन्ही ने इसे हराया भी था। सन् 1686 में अंग्रेजो की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी इसका विद्रोह किया था। सबसे विद्रोह से मुगल साम्राज्य की नीव डगमगाने लगी थी। एकता में दरार आने लगी थी, किसी की इज्जत का ख्याल नही जाता था, पूरे साम्राज्य में रूढ़िवादी ने जन्म ले लिया था।

औरंगजेब अपने शासन काल में हमेशा युद्ध की चढ़ाई ही करता रहा। औरंगज़ेब एक कट्टर मुस्लिम था, ऐसे में दुश्मन होना तो लाजमी था। एक बार वीर शिवाजी को भी इसने बंदी बनाया था पर वो इसके गिरफ्त से भाग निकले। फिर युद्ध हुआ और औरंगज़ेब को हार का मुंह देखना पड़ा। इस तरह मुगलों का शासन खत्म हुआ और फिर मराठा का दौर शुरू हुआ।

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ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास एवं काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने का विवाद – (Gyanvapi Masjid Case ,History )

इस वक्त एक सनसनी खबर चल रही है की ज्ञानवापी मस्जिद एक सच मच मस्जिद है या इसे जबरन स्थापित किया गया है। आइए जानते है इसके बारे में पूरा सच, इसका इतिहास:-

औरंगज़ेब के आदेशों का पालन जब कोई नही कर रहा था तब उसने एक फरमान जारी किया की काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ कर उस पर मस्जिज बनाया जाए। लेकिन ऐसा करने में वो पहली बार सफल नहीं हुआ था। पहली बार उसने सन् 1664 में कोशिश की थी पर ऐसा ही नही पाया क्योंकि उस समय नागा साधुओं ने इसका विरोध किया और औरंगज़ेब की सेना हार गई।

औरंगज़ेब ने फिर से सन् 1669 में दुबारा इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश की। लेकिन यह मंदिर इतना मजबूत और इसमें हिंदू की आध्यात्मिक और भावना जुड़ी हुई थी, इसलिए ये दुबारा ना बने तो इस पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कर दिया। यह मस्जिद आज भी काशी में मौजूद है और विवाद का कारण बना हुआ है। क्योंकि इस पर हिंदू देवता का त्रिसुल और श्लोक लिखे हुए है।

वहां के लोगो का कहना है की लगभग 40,000 नागा साधुओं ने उस काशी विश्वनाथ मंदिर को बंचाने के लिए अपनी जान की आहुति दे दी। काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण, पुनर्निर्माण की बात कही जा रही रही। इसके लिए पहली बार अहिल्याबाई होल्कर ने पहल की थी। इनके ससुर मल्हार राव होल्कर, इंदौर के तत्कालीन मराठा राजा ने ज्ञानवापी मस्जिद को ध्वस्त करने और मंदिर का दुबारा निर्माण करने की रणनीति बनाई पर ऐसा हो ना पाया।

आठ साल बाद,1750, फिर से जयपुर के महाराजा ने मस्जिद को तोड़ने और मंदिर के पुन्हनिर्माण की कोशिश की। उन्होंने उस जमीन को ही खरीदने की कोशिश की जहां मंदिर और मस्जिद था पर फिर से बात नहीं बनी।

औरंगजेब की म्रत्यु –

औरंगज़ेब ने मरते वक्त और उससे पहले भी इतने दुश्मन कर लिए थे उसके मरने के बाद कोई मुगल साम्राज्य को दुबारा उठने नहीं देना चाहता था। इसकी मृत्यु 90 साल की उम्र में 3 मार्च 1707 में हुई थी। 49 साल के शासक में इसने अपनी क्रूरता से अलग ही इमेज बनाई थी। औरंगज़ेब ने दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद की स्थापना की थी।

FAQ

Q – औरंगजेब का जन्म कब हुआ ?

Ans. 14 अक्टूबर 1618 को औरंगजेब का जन्म हुआ था.

Q- औरंगजेब की कितनी पत्नी थी ?

Ans. औरंगजेब की 4 पत्नियां थी, औरंगाबादी महल, झैनाबादी महल, बेगम नबाव बाई व उदैपुरी महल.

Q- औरंगजेब की मृत्यु कब हुई ?

Ans. औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 को हुई थी, जब वो 90 साल का था।

Q- औरंगजेब ने कितने समय तक मुगल साम्राज्या पर राज्य किया?

Ans. औरंगजेब ने सन् 1658 से 1707 ई तक शासन किया था.

Q- बाबर हुमायूं अकबर जहांगीर शाहजहां औरंगजेब? 

Ans. मुग़ल बादशाहों की लिस्ट, Mughal Emperor List In Hindi

  • मुगल बादशाह बाबर (King Babur) – Mughal वंश के पहले शासक. शासन समय – सन् 1526 से 1530 तक
  • मुगल बादशाह हुमायूँ (King Humayun)
  • मुगल बादशाह अकबर (Akbar The Great)
  • बादशाह जहांगीर (King Jahangir)
  • मुग़ल बादशाह शाहजहां (King Shahjahan)
  • बादशाह औरंगजेब (King Aurangzeb)

Q- औरंगजेब ने मंदिर क्यों तोड़ा?

Ans. इतिहास में कुछ लोगो का यह कहना है की औरंगजेब से तंग आकर जब जमींदारों ने बगावत की और राजा जय सिंह ने भी साथ नहीं दिया तो उसने मंदिर को तोड़ने का फरमान जारी कर दिया.

Q- भारत में सबसे पहले किसका राज्य चलता था?

Ans. चंद्रगुप्त मौर्य

Q- औरंगज़ेब ने कौन सी मस्जिद तोड़ी थी?

Ans. इतिहास में ऐसी कोई मस्जिद का जिक्र नहीं जो औरंगजेब ने तोड़ी थी, लेकिन उसने काशी विश्वनाथ मंदिर जो काशी में है उसको तोड़वा कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाया था।

अंतिम कुछ शब्द –

औरंगज़ेब का इतिहास हिंदी में, औरंगजेब एक बहुत ही क्रूर मुगल शासक रहा था। लोग इससे डरते थे क्योंकि ये अपने मजहब के अलावा किसी का सगा नही था। लेकिन, अंत में राजा छत्रसाल ने इसे युद्ध में हराया और हमारा भारत हमारा हो गया।

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